सद्गुरु द्वारा मार्गदर्शित कावेरी कॉलिंग अभियान ने 2024-25 के दौरान कावेरी बेसिन में 34,000 एकड़ में 1.36 करोड़ पौधे लगाने में सफलता प्राप्त की. अब तक कुल 12.2 करोड़ पौधे लगाए गए हैं, जिससे 2.38 लाख किसानों को वृक्ष-आधारित कृषि अपनाने में मदद मिली है. पिछले वर्ष ही 50,931 किसानों और नागरिकों ने बड़े पैमाने के इस पारिस्थितिक प्रयास में सक्रिय रूप से भाग लिया.
कावेरी कॉलिंग दुनिया की सबसे बड़ी किसान-संचालित पारिस्थितिक पहल और ट्रॉपिकल क्षेत्रों को बदलने की क्षमता वाला एक अभूतपूर्व प्रयास है. ट्रिलियन ट्रीज: इंडिया चैलेंज द्वारा दिए गए ‘शीर्ष इनोवेटर’ नाम के साथ, इस अभियान का उद्देश्य कावेरी नदी को पुनर्जीवित करना है. यह वृक्ष-आधारित कृषि को बढ़ावा देता है, जो मिट्टी के स्वास्थ्य को समृद्ध करने और जल प्रतिधारण में सुधार करने में मदद करता है, जिससे नदी के प्रवाह को वर्ष भर बनाए रखने में मदद मिलती है.
सद्गुरु ने क्या बताया?
कावेरी कॉलिंग के बारे में चर्चा करते हुए सद्गुरु ने बताया कि कावेरी कॉलिंग दुनिया को दिखाएगा कि योजनाबद्ध और रणनीतिक कार्रवाई करके बंजर भूमि के भूभाग को बदलना संभव है. जो भी मिट्टी और जल से पोषित होता है, उसे इस अभियान का हिस्सा बनना चाहिए. कावेरी कॉलिंग के परियोजना निदेशक और मिट्टी बचाओ अभियान के प्रतिनिधि आनंद एथिराजालु ने मिट्टी के पुनर्जनन की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि यूएनएफसीसीसी( UNFCCC) के इस सीओपी29 (COP29) शिखर सम्मेलन और यूएनसीसीडी (UNCCD) के सीओपी16 (COP16) के दौरान हम जिन प्रमुख विषयों पर अभियान चला रहे थे, उनमें से एक यह है कि वैश्विक जलवायु वित्त का 4 प्रतिशत से भी कम हिस्सा वास्तव में कृषि और खाद्य प्रणालियों तक पहुंच रहा है.
उन्होंने कहा कि हमने इस पर प्रकाश डाला क्योंकि जलवायु परिवर्तन को वायुमंडल में ठीक नहीं किया जा सकता है. इसे केवल मिट्टी में ही ठीक किया जा सकता है. वृक्ष आधारित कृषि के माध्यम से मिट्टी के पुनर्जनन पर अधिक ध्यान और निवेश करना समय की मांग है, और यही हम कर रहे हैं. प्रति वर्ष एक करोड़ से अधिक पौधे लगाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले पौधों की बड़ी मात्रा की आपूर्ति करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. कावेरी कॉलिंग उत्पादन केंद्र इस प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
उत्पादन केंद्रों में कुड्डालोर की एक नर्सरी शामिल है, जो दुनिया की सबसे बड़ी एकल-साइट नर्सरियों में से एक है, जो पूरी तरह से महिलाओं द्वारा संचालित है, जिसकी क्षमता 85 लाख पौधे तैयार करने की है. तिरुवन्नामलाई में स्थित नर्सरी, जो 15 लाख पौधे उत्पादित करती है, के साथ मिलकर, ये केंद्र इस पहल की रीढ़ का काम करते हैं.
साथ में, ये नर्सरी 3 रुपये प्रति पौधे की रियायती दर पर सागौन, लाल चंदन, शीशम और महोगनी सहित 29 उच्च मूल्य वाली लकड़ी की प्रजातियां प्रदान करती हैं. सद्गुरु सन्निधि बेंगलुरु स्थित नर्सरी ने भी दिसंबर 2023 में अपनी स्थापना के बाद से 1,00,000 पौधे लगाने की महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। वर्तमान में, इसने 1.3 लाख से अधिक पौधे लगाने में सफलता प्राप्त की है.
किसानों की आजीविका को बढ़ा रहा कावेरी कॉलिंग
कावेरी कॉलिंग किसानों को पौधा उत्पादन और वितरण फ्रेंचाइजी चलाने में सक्षम बनाकर उनकी आजीविका को बढ़ा रहा है. किसानों को नर्सरी प्रबंधन और अपने समुदायों को उच्च गुणवत्ता वाले जैविक पौधे आपूर्ति करने के लिए प्रशिक्षित और समर्थित किया जाता है. जमीनी समर्थन को मजबूत करते हुए, कावेरी कॉलिंग ने 160 से अधिक क्षेत्रीय अधिकारियों को तैनात किया, जिन्होंने 32,000 से अधिक कृषि भूमि का दौरा किया. ये अधिकारी वृक्षारोपण से पहले से लेकर वृक्षारोपण के बाद तक मुफ्त परामर्श प्रदान करते हैं, जिसका उद्देश्य वृक्ष आधारित कृषि को अपनाने के लाभ के बारे में जागरूकता फैलाना है.
इन यात्राओं के दौरान, अधिकारी मिट्टी के प्रकार, मिट्टी की गहराई की जांच करते हैं और पानी का परीक्षण करते हैं, तथा संबंधित कृषि भूमि के लिए उपयुक्त पेड़ की प्रजातियां सिफारिश करते हैं. ये सिफारिशें क्षेत्र की स्थानिक वृक्ष प्रजातियों, कृषि-जलवायु परिस्थितियों और किसानों की आय-चक्र अपेक्षाओं पर विचार करने के बाद तैयार की जाती हैं.
किसानों की समस्याओं का त्वरित समाधान
कावेरी कॉलिंग अभियान किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), गैर सरकारी संगठनों, कृषि विज्ञान केंद्रों, ग्राम पंचायतों और कृषि प्रदर्शनियों के माध्यम से भी किसानों से जुड़ता है. प्रतिदिन सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक संचालित होने वाली एक समर्पित हेल्पलाइन, विशेषज्ञों और आदर्श किसानों की जानकारी का उपयोग करके 24-48 घंटों के भीतर किसानों की समस्याओं का समाधान करती है.
पिछले साल 8721 किसानों ने भाग लिया
अभियान ने 2024 में 2 मेगा प्रशिक्षण कार्यक्रम और 6 क्षेत्रीय कार्यक्रम भी आयोजित किए, जिसमें 8,721 किसानों ने भाग लिया. राष्ट्रीय केला अनुसंधान केंद्र (NRCB), भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (IIHR), राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान (NIFTEM), और केंद्रीय कंद फसल अनुसंधान संस्थान (CTCRI) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञों ने वृक्ष आधारित कृषि के बारे में व्यावहारिक ज्ञान साझा किया. पिछले साल यानी 2024 में विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून), वन महोत्सव सप्ताह (1-7 जुलाई), गांधी जयंती (2 अक्टूबर), और विश्व मृदा दिवस (5 दिसंबर) आदि जैसे महत्वपूर्ण दिनों पर 506 वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसके परिणामस्वरूप 10 लाख पौधे लगाए गए.